लेखनी प्रतियोगिता -16-Sep-2023 मैं मददगार हूं
कड़ाके की ठंड मूसलधार बरसात ऊपर से कपड़ों के बैंग के साथ रुपए पैसे चोरी होने के बाद शांति को अपने मायके की बहुत याद आ रही थी और पति ससुराल वालों पर बहुत क्रोध आ रहा था कि मुझे सोच समझकर घर छोड़ना चाहिए था मेरा पति आराम से अपनी मां के साथ घर पर है और मैं दर-दर की ठोकर खा रही हूं, मैं अपना घर बनाना चाह रही हूं और मेरा मूर्ख पति मां के बहकावे में आकर अपना घर बर्बाद कर रहा है।
मैने अपनी ससुराल को छोड़कर मायके जाने का फैसला क्यों लिया और एक अजनबी व्यक्ति पर भरोसा क्यों किया मुझे वहीं रहकर अपने पति और सास को सबक सिखाना चाहिए था।
उस अजनबी के द्वारा उसके कपड़े पैसे चोरी करने के बाद शांति को हर आने जाने वाले किसी भी स्त्री पुरुष पर विश्वास करने की इच्छा नहीं हो रही थी, लेकिन तेज भूख और सर्दी से बचने के लिए उसे किसी से मदद लेना भी जरूरी लग रहा था।
इसलिए वह एक दवाइयों के दुकानदार के पास मदद मांगने जाती है और उस दवाइयों के दुकानदार को अपनी आप बीती बताने से पहले सर दर्द की गोली खाने के लिए मांगती है।
और जब वह दवाइयों का दुकानदार उससे पैसे मांगता है तो उसे पैसे कपड़े चोरी होने की बात बताती है वह दवाइयों का दुकानदार उसकी मजबूरी को समझ कर शांति को खाने और अपने मायके जाने के लिए किराए के पैसे दे देता है।
शांति खुश होकर दवाइयों के दुकानदार को धन्यवाद कहकर ढाबे में खाना खाने चली जाती है, शांति ढाबे वाले को भी सामान पैसे चोरी होने की बात बताती है तो ढाबे का मालिक शांति से खाने के पैसे नहीं लेता और शांति को जल्दी बस अड्डे पहुंचने के लिए ऑटो के पैसे भी देता है क्योंकि शांति के गांव की आखिरी बस रात के 8:00 बजे की थी।
बस अड्डे पर पहुंच कर शांति को गरम कपड़ों की दुकान दिखाई देती है, तो शांति कड़ाके की ठंड से बचने के लिए गरम कपड़ों के दुकानदार से एक सस्ती सी गरम शाल खरीदने के लिए देखती है, तो गरम कपड़ों की दुकान का दुकानदार भी शांति को मजबूर परेशान दुखी महिला समझकर शांति को एक गरम शाल यह कह कर दे देता है कि अपने मायके पहुंच कर शॉल के पैसे मेरी दुकान के पते पर भिजवा देना।
शांति बस कंडक्टर से लेकर अपने घर पहुंचने वाले रिक्शे वाले को भी अपनी मजबूरी बताकर आधे पैसे देकर अपने मायके पहुंच जाती है।
और अपने मायके की चौखट पर कदम रखते ही उसे अपनी गलती का एहसास होता है कि अगर मेरे पति अपने मामा मामी की मृत्यु के बाद अपनी ममेरी बहन की शादी की पूरी जिम्मेदारी खुद उठा रहे हैं तो क्या गलत कर रहे हैं मैं वह चोर हूं जिसने मुझे सबसे मदद मांगने के लिए मजबूर किया और मेरे पति की गिनती उन मदद करने वालों में है जिनकी वजह से मैं सही सलामत अपने मायके तक पहुंची, इसलिए दुनिया में मेरे जैसे नहीं मेरे पति जैसे सब होने चाहिए।
उस दिन के बाद से शांति किसी की भी मदद करने से पीछे नहीं हटती थी।
Gunjan Kamal
16-Sep-2023 10:20 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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